भारत के रहस्य 5 Secrets of India पार्ट -1
1.कोहिनूर हीरे का रहस्य The Secret of Kohinoor
- कोहिनूर हीरे का एक रहस्य और महत्वपूर्ण पहलू उसका इतिहास है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध हीरा है जिसका मतलब होता है "कोह-इ-नूर" यानी "नूर का पहाड़"। यह हीरा पहले हैदराबाद के निजामों के राजघराने की मूठी में था, और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे अपने कब्जे में कर लिया।
- कोहिनूर की कई कथाएँ हैं जिनमें यह मानी जाती है कि यह हीरा भगवान विष्णु के सूर्य रथ से गिरकर पृथ्वी पर आया था और यह एक दिव्य रत्न था। यही कारण है कि इसे "नूर का पहाड़" कहा जाता है।
- कोहिनूर का इतिहास बहुत पुराना है और यह पुराने समय में कई शासकों के बीच लिया गया है। इसका प्रसिद्धतम हिस्ट्री में पहला ज़िक्र 16वीं सदी में मिलता है जब यह हीरा पर्सिया के मुग़ल शाह अहमद शाह अब्दाली के पास पहुंचा था। बाद में यह अंग्रेज़ कंपनी के हाथ में आया और उसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य के हैंड्स में चइकोला गया।
- कोहिनूर का इतिहास, उसके मूल्य और उसकी प्राप्ति के पीछे कई कथाएँ और रहस्य हैं, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ हीरा है जिसकी कहानी आज भी लोगों के बीच विवादित है।
भारत में मिलने वाले प्रमुख हिरे
👉 दुनिया के अनसुलझे रहस्य part-1भारत विश्व में हीरे की उत्पादन में महत्वपूर्ण खदानों में से एक है और यह कई प्रमुख हिरे भी उत्पन्न करता है। कुछ प्रमुख हिरे निम्नलिखित हैं:
- कोहिनूर: यह एक प्रसिद्ध हीरा है जिसका नाम पर्सियाई शब्द "कोह-इ-नूर" से लिया गया है, जिसका मतलब होता है "नूर का पहाड़"। यह हीरा पहले हैदराबाद निजामों की महारानी की मूठी में था, और बाद में ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे अपने कब्जे में कर लिया। आज यह हीरा ब्रिटिश मुजीयम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में प्रदर्शित है।
- दर्या-ए-नूर: इसका मतलब होता है "नूर की समुंदर" यह भी एक प्रमुख हीरा है जो पर्सियाई राजघराने से संबंधित था।
- नीला हीरा: यह हीरा माध्य प्रदेश के पन्ना खदानों से प्राप्त होता है और विशेष रूप से नीले रंग की वजह से उसका नाम नीला हीरा पड़ा है।
- पहाड़ी हीरे: भारत में कई प्रमुख पहाड़ों में हीरे मिलते हैं, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय हिमालयन खदानों से मिलने वाले हीरे।
- ये कुछ प्रमुख हीरे हैं जो भारत में उत्पन्न होते हैं, और इन्हें उत्पादित करने वाले कई खदानें हैं जिनमें से पन्ना, दियावर, ओराक्ज़ाइट, राजमहल आदि प्रमुख हैं।👉interesting-facts-of-human-body-part-2
2.अश्वत्थामा का रहस्य
- महाभारत के अश्वत्थामा याद हैं आपको। कहा जाता है कि अश्वत्थामा का वजूद आज भी है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने निकले अश्वत्थामा को उनकी एक चूक भारी पड़ी और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। ऐसा कहा जाता है कि पिछले लगभग 5 हजार वर्षों से अश्वत्थामा भटक रहे हैं। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किमी दूर असीरगढ़ का किला है। कहा जाता है कि इस किले में स्थित शिव मंदिर में अश्वत्थामा आज भी पूजा करने आते हैं। स्थानीय निवासी अश्वत्थामा से जुड़ी कई कहानियां सुनाते हैं। वे बताते हैं कि अश्वत्थामा को जिसने भी देखा, उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई। इसके अलावा कहा जाता है कि अश्वत्थामा पूजा से पहले किले में स्थित तालाब में नहाते भी हैं। बुरहानपुर के अलावा मप्र के ही जबलपुर शहर के गौरीघाट नर्मदा नदी के किनारे भी अश्वत्थामा के भटकने का उल्लेख मिलता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, कभी-कभी वे अपने मस्तक के घाव से बहते खून को रोकने के लिए हल्दी और तेल की मांग भी करते हैं। इस संबंध में हालांकि स्पष्ट और प्रामाणिक आज तक कुछ भी नहीं मिला है।
3.श्रीपद्मनाभम मंदिर का रहस्य
- ऐसे कई मंदिर हैं, जहां तहखानों में लाखों टन खजाना दबा हुआ है। उदाहरणार्थ केरल के श्रीपद्मनाभम मंदिर के 7 तहखानों में लाखों टन सोना दबा हुआ है। उसके 6 तहखानों में से करीब 1 लाख करोड़ का खजाना तो निकाल लिया गया है, लेकिन 7वें तहखाने को खोलने पर राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर रोक लगा रखी है। आखिर ऐसा क्या है उस तहखाने में कि जिसे खोलने से वहां तबाही आने की आशंका जाहिर की जा रही है? कहते हैं उस तहखाने का दरवाजा किसी विशेष मंत्र से बंद है और वह मंत्र से ही खुलेगा। वृंदावन का एक मंदिर अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। कहते हैं कि निधिवन परिसर में स्थापित रंगमहल में भगवान कृष्ण रात में शयन करते हैं। रंगमहल में आज भी प्रसाद के तौर पर माखन-मिश्री रोजाना रखा जाता है। सोने के लिए पलंग भी लगाया जाता है। सुबह जब आप इन बिस्तरों को देखें, तो साफ पता चलेगा कि रात में यहां जरूर कोई सोया था और प्रसाद भी ग्रहण कर चुका है। इतना ही नहीं, अंधेरा होते ही इस मंदिर के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं इसलिए मंदिर के पुजारी अंधेरा होने से पहले ही मंदिर में पलंग और प्रसाद की व्यवस्था कर देते हैं। मान्यता के अनुसार, यहां रात के समय कोई नहीं रहता है। इंसान छोड़िए, पशु-पक्षी भी नहीं। ऐसा बरसों से लोग देखते आए हैं, लेकिन रहस्य के पीछे का सच धार्मिक मान्यताओं के सामने छुप-सा गया है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात में रुक जाता है तो वह तमाम सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
4.कैपलर टेलिस्कोप
- कैपलर टेलिस्कोप एक ऐसी शक्तिशाली दूरबीन है जो हमें 1200 से भी ज्यादा संभावित दुनिया ढूंढने में मदद कर सकती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि की करीब 37 तारों में से एक तारे के मंडल में एक धरती अवश्य होनी चाहिए परंतु फिर भी हम अभी तक किसी भी जीवन के बारे में नहीं जान सकें हैं। क्या हम इस विशाल ब्रह्माण्ड में बिलकुल अकेले हैं।
5.कुम्भ का मेला
- कुम्भ मेला भारत के प्रमुख धार्मिक मेलों में से एक है जो हर 12 वर्ष में प्रमुख आध्यात्मिक स्थलों पर आयोजित होता है। इसका कारण है हिन्दू धर्म में स्नान की महत्वपूर्णता, जिसके तहत श्रद्धालुओं का समूह एक स्थल पर आकर धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार स्नान करता है।
- कुम्भ मेला को चार प्रमुख स्थलों पर आयोजित किया जाता है: प्रयागराज इलाहाबाद , हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक। इनमें से प्रयागराज कुम्भ मेला सबसे प्रसिद्ध है, जहां कोटि-कोटि श्रद्धालु एक साथ संगम स्थल पर आते हैं।
- कुम्भ मेला में अनेक प्रकार के साधू-संत भी आते हैं, जैसे नागा साधू, उदासीन संत, वैष्णव संत, शैव संत आदि। ये साधू अपने आध्यात्मिक आदर्शों को प्रचारित करते हैं और श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन करते हैं।
- कुम्भ मेला का व्यवस्थित नियोजन स्थल, सुरक्षा, साधू-संतों के विशेष क्षेत्र आदि को सम्बंधित सरकारों द्वारा किया जाता है, ताकि यह बड़े पैमाने पर समृद्धि और शांति में हो सके।इस मेले में करिबन 50 लाख से जादा लोग आते है.यह एक शहर बस जाता हैं.
यहा साधू क्यू आते है.
- साधू धार्मिक तपस्या, आध्यात्मिक अभ्यास और आध्यात्मिक जीवन के पथ पर चलने वाले व्यक्तियों को कहा जाता है। ये व्यक्तियाँ समाज से अलग होकर अपने आध्यात्मिक मार्ग पर ध्यान, ध्यान, साधना आदि में व्यस्त रहते हैं।
साधूओं के कई प्रकार होते हैं
- सन्यासी/संन्यासिन: ये व्यक्तियाँ अपने जीवन को संयम, त्याग, आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक ज्ञान में समर्पित करते हैं। वे सामाजिक बंधनों से मुक्त होते हैं और अकेले या संगठित रूप में ध्यान और तपस्या करते हैं।
- नागा साधू: ये साधू अपने शरीर पर कपडा नहीं पहनते हैं और ज्यादातर समय न्यूड रहते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य अपने आध्यात्मिक मार्ग पर ध्यान केंद्रित करना होता है।
- वैरागी: वैरागी साधू भोगों से वैराग्य रखते हैं और सामाजिक बंधनों से परे रहते हैं। वे आध्यात्मिक सद्गुणों की प्राथमिकता देते हैं।
- संत/योगी: ये साधू आध्यात्मिक शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए जनमानस के लिए आते हैं। उनका उद्देश्य लोगों को आत्मा की उन्नति और आध्यात्मिक मुक्ति में मदद करना होता है।
- साध्वी: साध्वियाँ भी समान रूप से आध्यात्मिक जीवन के पथ पर चलती हैं और आत्मा की प्राप्ति के लिए ध्यान और साधना करती हैं।
- ये साधू विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में विश्वास रखने वाले होते हैं, और उनका मुख्य उद्देश्य आत्मा की उन्नति और मुक्ति की प्राप्ति होती है।
- जादा जाणकारी के लिये हमारा ब्लॉग शेअर करे ओर लाईक करे.