Bhimashankar Tempal Hill Station Information In Hindi

Vikas Jamdade
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भीमाशंकर मंदिर पूरी जाणकारी,Bhimashankar Hill Station Information In Hindi

  • भीमाशंकर मंदिर सह्याद्रि पर्वत शृखला मे खेड़ गांव से 50 KM. उत्तर-पश्चिम पुणे से 110 KM में स्थित है। यह पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। यह दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है . भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग शिव जी का प्रसिद्ध मंदिर है। यह महाराष्ट्र के पुणे से 110 किलोमीटर दूर पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर मोटेश्वर महादेव के नाम से भी विख्यात है क्योंकि इस मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग काफी बड़ा और मोटा है यह ज्योतिर्लिंग शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से छठा ज्योतिर्लिंग माना गया है। इन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए हैं।

कथा

  • भीमशंकर महादेव काशीपुर में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ स्थान है। यहां का शिवलिंग काफी मोटा है जिसके कारण इन्हें मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है। आसाम में शिव के द्वाद्श ज्योर्तिलिगों में एक भीमशंकर महादेव का मंदिर भी माना जाता होगा। काशीपुर के मंदिर का उन्हीं का रूप बताया जाता है। कथा तथा स्थान के विवाद कूछ भी हो भीमा नदी के उगम से भी शंकर जुडा हैं, तभि तो महाराष्ट्र पुणे समीप के भीमा शंकर ही सही शिव के द्वाद्श ज्योर्तिलिगों स्थान मे से एक हैं .कथा तथा स्थान के विवाद कूछ भी हो भीमा नदी के उगम से भी शंकर जुडा हैं, तभि तो महाराष्ट्र पुणे समीप के भीमा शंकर ही सही शिव के द्वाद्श ज्योर्तिलिगों स्थान मे से एक होणे का प्रमाण भी सच ही हैं .

भीमाशंकर मंदिर का इतिहास

  • भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में कुंभकर्ण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस था। उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृ्त्यु के बाद हुआ था। अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की उसे जानकारी नहीं थी। बाद में अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो वह श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने अनेक वषरें तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उससे मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवता भी भयभीत रहने लगे। धीरे-धीरे सभी जगह उसके आंतक की चर्चा होने लगी। युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारंभ कर दिया। उसने सभी तरह के पूजा पाठ बंद करवा दिए। अत्यंत परेशान होने के बाद सभी देव भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिलाया कि वे इस का उपाय निकालेंगे। भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम से युद्ध करने की ठानी। लड़ाई में भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस को राख कर दिया और इस तरह अत्याचार की कहानी का अंत हुआ। भगवान शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हो़। उनकी इस प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार किया और वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी यहां विराजित हैं।

मंदिर की संरचना

  • भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का समिश्रण है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का पता चलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी ने भीमाशंकर मंदिर बनवाया था भीमाशंकर मंदिर के दर्शन करने वाले सभी भक्तों के लिए महाराज शिवाजी ने कई प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई है। मराठा पेशवाओं के राजनेता फड़णवीस ने 18वीं शताब्दी भीमाशंकर मंदिर के शिखर का पुनर्निर्माण करवाया था।एक सामान्य मंदिर के सभी वास्तु तत्व आप इस मंदिर में देख सकते हैं, जैसे गर्भगृह, मंडप, अर्धमंडप, शिखर इत्यादि। गर्भगृह के मध्य में स्वयंभू लिंग स्थित है। इस स्वयंभू लिंग को देख सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि इस लिंग के चारों ओर मंदिर का निर्माण किया गया था।
  • मंदिर की भित्तियों एवं द्वार के चौखटों पर अनेक शिल्प उत्कीर्णित हैं।
  • मंदिर परिसर में एक छोटा शनि मंदिर भी है जिसे शनिश्वर कहते हैं।
  • नाना फड़नवीस द्वारा निर्मित हेमाडपंथी शैली मे मंदिर की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है। अगर आप यहां जाएं तो आपको हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक जैसे स्थानों का दौरा करने का मौका मिल सकता है। भीमशंकर लाल वन क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित है जहां पक्षियों, जानवरों, फूलों, पौधों की भरमार है। यह जगह श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रैकर्स प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है। यह मंदिर पुणे में बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां दुनिया भर से लोग इस मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं। भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।

भीमशंकर मंदिर जाने का सही समय

  • यहां आने वाले श्रद्धालु कम से कम तीन दिन जरूर रुकते हैं। यहां श्रद्धालुओं के लिए रुकने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है। भीमशंकर से कुछ ही दूरी पर शिनोली और घोड़गांव है जहां आपको हर तरह की सुविधा मिलेगी। यदि आपको भीमशंकर मंदिर की यात्रा करनी है तो अगस्त और फरवरी महीने की बीच जाएं। वैसे आप ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर किसी भी समय यहां आ-जा सकते हैं। वैसे जिन्हें ट्रैकिंग पसंद है उन्हें मानसून के दौरान बचने की सलाह दी जाती है।

भीमाशंकर मंदीर कैसे पहुंचें

  • आप यहां सड़क और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। आप शिवाजीनगर, पुणे से राज्य परिवहन की बसें प्राप्त कर सकते हैं। किराया रु। 155 है और पुणे से वहाँ पहुँचने में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं। महाशिवरात्रि या प्रत्येक माह में आने वाली शिवरात्रि को यहां पहुंचने के लिए विशेष बसों का प्रबन्ध भी किया जाता है।

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