Kavita Bhabhi Ki Pyaar Bhari Dunia

Vikas Jamdade
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कविता भाभी की प्यार भरी दुनिया

कविता भाभी, एक 35 साल की खूबसूरत और आत्मनिर्भर महिला, अपने छोटे से शहर सागरपुर में मशहूर थीं। उनकी हँसी में मिठास थी, और उनकी बातों में एक अजीब सा नशा। लोग कहते थे कि कविता भाभी की एक मुस्कान से दिन बन जाता है। लेकिन उनकी ज़िंदगी में एक खालीपन था, जो किसी को दिखाई नहीं देता था। कविता अपने भाई के साथ रहती थीं, जो एक छोटी सी दुकान चलाता था। उनका दिन घर के कामों, पड़ोसियों से गपशप और शाम को छत पर चाय पीते हुए गुज़रता था। लेकिन एक दिन उनकी ज़िंदगी में तूफान आया—राहुल के रूप में।
राहुल, कविता के भाई का दोस्त, एक 28 साल का चुलबुला और रोमांटिक लड़का था। उसकी साइकिल और उसकी बेफिक्री कविता को पहली नज़र में भा गई। एक दिन राहुल दुकान पर आया और कविता से बोला, "भाभी, आप चाय बनाती हैं या जादू? हर बार आपकी चाय पीकर लगता है, मैं आसमान में उड़ रहा हूँ।" कविता हँस पड़ीं और बोलीं, "तो फिर ज़मीन पर रहने की आदत डाल लो, राहुल, क्यों कि मेरी चाय रोज़ नहीं मिलेगी।" बस, यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई।
  • रोमांस की शुरुआत
धीरे-धीरे राहुल हर शाम कविता के घर के बाहर साइकिल लिए खड़ा होने लगा। कविता खिड़की से उसे देखतीं और मन ही मन मुस्कुरातीं। एक दिन बारिश हुई, और राहुल भीगा हुआ कविता के घर के बाहर खड़ा रहा। कविता ने उसे अंदर बुलाया और तौलिया देते हुए कहा, "तुम्हें अक्ल नहीं है क्या? बारिश में भीग रहे हो!" राहुल ने शरारती अंदाज़ में जवाब दिया, "भाभी, आपके लिए तो मैं आग में भी कूद जाऊँगा, बारिश तो छोटी बात है।"ओर राहुल बोला" तुम्हारी टॉप के पीछे क्या है?
कविता बोली:अरे, कुछ नहीं, बस दोस्त हैं मेरे। राहुल: इतने बड़े दोस्त? ये तो मेरे दुश्मन बन जाएंगे!"इन्हे मे कुचल दुंगा ओर उसने उन्हे हात लगाया"कविता का दिल धड़क उठा। उस दिन से दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा।
राहुल कविता को छोटे-छोटे तोहफे लाने लगा—कभी गुलाब, कभी चूड़ियाँ, कभी मिठाई। एक बार उसने कहा, "कविता, तुम मेरे लिए चाँद हो।" कविता ने हँसते हुए जवाब दिया, "तो फिर तुम सूरज क्यों नहीं बनते? चाँद को तो रोशनी सूरज से मिलती है।" राहुल बोला, "अरे, सूरज बन जाऊँगा तो तुम्हें जलन होगी!" दोनों हँस पड़े। यहाँ एक छोटा सा जोक भी था—राहुल ने कहा, "वैसे, मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उसने मुझे छोड़ दिया क्योंकि मैं उससे ज़्यादा अपनी साइकिल से प्यार करता था।" कविता ने ठहाका लगाया और बोलीं, "तो अब साइकिल को भूल जाओ, वरना मैं भी चली जाऊँगी।"
  • प्यार में तीसरा कोण
लेकिन हर प्रेम कहानी में एक ट्विस्ट होता है। कविता की ज़िंदगी में यह ट्विस्ट थी अंजलि। अंजलि, राहुल की कॉलेज की दोस्त, जो अब शहर में नौकरी करती थी। राहुल अक्सर उससे मिलने जाता था, लेकिन कविता को यह बात छुपाकर रखता था। एक दिन कविता बाज़ार गईं और वहाँ राहुल को अंजलि के साथ हँसते-बात करते देख लिया। अंजलि खूबसूरत थी, उसकी बातों में आत्मविश्वास था, और राहुल उसके साथ बेफिक्र लग रहा था। कविता का दिल टूट गया। वह चुपचाप घर लौट आईं और रात भर रोती रहीं।
अगले दिन राहुल कविता से मिलने आया। कविता ने ठंडे लहजे में पूछा, "कल बाज़ार में कौन थी वो?" राहुल घबरा गया और बोला, "अरे, वो तो बस अंजलि है, मेरी पुरानी दोस्त। तुम गलत समझ रही हो।" कविता ने गुस्से में कहा, "अगर वो सिर्फ़ दोस्त है, तो मुझे बताने में क्या दिक्कत थी? राहुल, मैं तुम्हारे साथ खेल नहीं खेल रही।" राहुल ने माफी माँगी, लेकिन कविता का भरोसा टूट चुका था। उन्होंने कहा, "हमारा रिश्ता यहीं खत्म होता है।" राहुल गिड़गिड़ाया, लेकिन कविता ने दरवाज़ा बंद कर दिया।
राहुल ने सोचा, "प्यार में ब्रेकअप तो ठीक है, लेकिन अब साइकिल का क्या होगा? वो तो कविता के घर के बाहर ही रहती थी!" लेकिन हँसी मज़ाक से कविता का दर्द कम नहीं हुआ। वह अकेली रहने लगीं, अपने दर्द को छुपाने के लिए काम में डूब गईं।
  • बदला और नई शुरुआत
कविता ने फैसला किया कि वह राहुल को भूलकर अपनी ज़िंदगी को नया रंग देंगी। वह एक छोटी सी सिलाई की दुकान खोलने लगीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात विक्रम से हुई। विक्रम, 32 साल का एक सुलझा हुआ और मेहनती इंसान, जो पास की फैक्ट्री में काम करता था। एक दिन कविता की दुकान पर उसकी शर्ट फट गई, और कविता ने उसे सिल दिया। विक्रम ने मज़ाक में कहा, "भाभी, आप तो शर्ट सिलती हैं और दिल जोड़ती हैं।" कविता हँस पड़ीं और बोलीं, "दिल जोड़ना आसान नहीं, विक्रम। टूटा हुआ दिल सिलाई मशीन से ठीक नहीं होता।" यहाँ से दोनों की दोस्ती शुरू हुई।
विक्रम कविता को समझता था। वह उनके लिए चाय लाता, उनकी बातें सुनता, और कभी-कभी मज़ाक भी करता। एक बार उसने कहा, "मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन उसने मुझे इसलिए छोड़ दिया क्योंकि मैं हर बार चाय में चीनी भूल जाता था।" कविता ने हँसते हुए कहा, "तो मेरे लिए चाय बनाओ, देखें तुम कितने अच्छे बॉयफ्रेंड हो।" यह हुकअप की शुरुआत थी। कविता को लगा कि शायद विक्रम के साथ वह राहुल को भूल सकती हैं।
धीरे-धीरे दोनों करीब आए। विक्रम ने कविता को वो सम्मान और प्यार दिया, जो राहुल कभी नहीं दे पाया। एक शाम विक्रम ने कविता से कहा, "कविता, मैं तुम्हें कभी दुखी नहीं देखना चाहता। तुम मेरे लिए खास हो।" कविता की आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने सोचा, "शायद यही सच्चा प्यार है।"
  • राहुल का पछतावा और कविता का बदला
एक दिन कविता और विक्रम बाज़ार में साथ घूम रहे थे। राहुल ने उन्हें देख लिया। उसका दिल जल उठा। उसने कविता को फोन किया और कहा, "कविता, मैं गलत था। अंजलि को छोड़ दूँगा, बस तुम मुझे माफ कर दो।" कविता ने शांत स्वर में जवाब दिया, "राहुल, जो बीत गया, उसे भूल जाओ। मैंने अपनी खुशी ढूंढ ली है। तुम भी अपनी ज़िंदगी जियो।" यह कविता का बदला था—नहीं चिल्लाकर, बल्कि अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाकर।
राहुल अकेला रह गया। उसने अंजलि से भी ब्रेकअप कर लिया, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। कविता और विक्रम की मोहब्बत गहरी होती गई। एक दिन विक्रम ने मज़ाक में कहा, "कविता, अगर मैं तुम्हें प्रपोज़ करूँगा, तो क्या तुम हाँ कहोगी, या मुझे साइकिल की तरह छोड़ दोगी?" कविता ने हँसते हुए कहा, "साइकिल से बेहतर तो तुम हो ही। हाँ कह दूँगी।" दोनों की हँसी गूँज उठी।
कहानी का अंत
कविता भाभी की यह कहानी प्यार, दर्द, और आत्मसम्मान की मिसाल बन गई। राहुल अपने किए का पछतावा करता रहा, जबकि कविता और विक्रम ने एक नई शुरुआत की। ज़िंदगी ने कविता को सिखाया कि प्यार में हार नहीं होती, बस सही इंसान का इंतज़ार करना होता है


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