🛕खजुराहो मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित हैं और वो विश्व धरोहर स्थलों के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त हैं. खजुराहो के मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक माने जाते हैं और इनकी मशहूरत उनकी वास्तुकला, नक्कशी और इन पर चित्रित नृत्य और कामसूत्र की कलाकृतिया है.
खजुराहो में पाए जाने वाले मंदिर भक्ति संग्रहालय के निकट स्थित हैं और उन्हें पश्चिमी, उत्तरी और जगदंबा मंदिरों के समूहों में विभाजित किया जा सकता है.
खजुराहो के प्रांगण में प्रमुख मंदिर अलावा ओर शामिल हैं.
🛕लक्ष्मण मंदिर: यह खजुराहो का सबसे प्रमुख मंदिर है और 10वीं शताब्दी में निर्मित हुआ है. यह मंदिर विशेष रूप से अपनी अद्वितीय वास्तुकला और नकाशा के लिए प्रसिद्ध है.
🛕खजुराहो मंदिर समूह: इसमें चार मंदिर शामिल हैं - पार्श्वनाथ, अदिनाथ, वमन और जगदंबा मंदिर, ये मंदिर बीसवीं शताब्दी के लगभग हैं और नृत्य कला के अद्भुत चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं.
🛕चित्रकूट मंदिर- यह मंदिर 11वीं शताब्दी में निर्मित हुआ है और वहां पर्यटकों के बीच खासी प्रसिद्ध है. इसके द्वारा चित्रित नृत्य कला और खम्भ द्वार की विशेषता हैं.
🛕पर्वती मंदिर- यह मंदिर पर्वती देवी को समर्पित है और उत्तर भारतीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. इसके प्रमुख चित्रों में एक खजुराहो की जैसी महिला की प्रतिष्ठा है.यह मंदिर विश्वविख्यात हैं और भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक हैं. इन मंदिरों की वास्तुकला, सुंदर नकाशा और चित्रित कला को देखने के लिए खजुराहो का दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण है.यह मंदिरों का निर्माण हिंदू धर्म के देवताओं की पूजा-अर्चना और उनके उपासना के लिए किया गया था। इन मंदिरों के निर्माण का मुख्य उद्देश्य धार्मिकता और आध्यात्मिकता को प्रमुखता देना था,यह मंदिरों का निर्माण लगभग 10वीं और 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था, जब चंदेल राजवंश खजुराहो क्षेत्र में शासन कर रहा था. चंदेल राजपूतों ने अपने धर्मावलम्बी मनोभावना को प्रकट करने के लिए इन मंदिरों का निर्माण किया था. इन मंदिरों के माध्यम से वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को दर्शाना चाहते थे.यह मंदिरों का निर्माण करके, चंदेल राजपूत ने न केवल अपने देवताओं की पूजा और उपासना का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि वे इन मंदिरों के माध्यम से अपने राज्य के गौरव को भी दर्शाना चाहते थे. खजुराहो मंदिर आज भी धार्मिकता, कला, और सांस्कृतिक विरासत के रूप में महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
🛕कोणार्क मंदिर जाणकारी
🛕कोणार्क मंदिर, जिसे सूर्य मंदिर भी कहा जाता है, भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है. यह मंदिर पूर्वी ओडिशा की प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है.
🛕कोणार्क मंदिर, 13वीं शताब्दी में चंद्रवंशी राजपूत राजा नरसिंहदेव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है और उनके पूजन और उपासना के लिए बनाया गया है.कोणार्क मंदिर विशेष रूप से अपनी विशाल एवं समतल दक्षिणावर्ती नाकाशा के लिए प्रसिद्ध है। इसके मुख्य गोपुर ,द्वारपालक, पत्थर का निर्माण है और उसकी ऊँचाई लगभग 100 फीट है. मंदिर की संगठन और वास्तुकला तंत्र बहुत अद्वितीय है और उसमें धार्मिक और सांस्कृतिक संकेतों का प्रयोग किया गया है.
मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं को भगवान सूर्य की मूर्ति, नृत्य मण्डप रंगमंच, शिखर, और चित्रित विमान का दर्शन करने को मिलता है। मंदिर के प्रमुख चित्रों में सूर्य देव के रथ ,रथ, के रूप में चित्रित हैं, जो मंदिर की महिमा और विशेषता को प्रकट करते है.कोणार्क मंदिर के निकट स्थित सूर्य तापोवन, सूर्य के वन, भी पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर है. यह एक प्राकृतिक आरामदायक स्थान है, जहां आप शांति और शांतिपूर्णता का आनंद ले सकते हैं.
कोणार्क मंदिर भारतीय संस्कृति और विरासत का महत्वपूर्ण स्थान है और इसे देश-विदेश से आए पर्यटकों द्वारा दर्शाने और अध्ययन करने का खास रुझान रहता है.