हर बच्चे की अपनी एक अलग दिमागी क्षमता होती है। कोई इसका उपयोग क्रिएटिव चीजों में करता है, तो कोई खेल-कूद में। कुछ पेरेंट्स की चिंता का कारण भी यही होता है कि उनके बच्चे खेलकूद में तो अच्छे हैं, लेकिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है। ऐसी स्थिति में पेरेंट्स को बच्चे की पसंदीदा एक्टिविटी को प्राथमिकता देते हुए और उसकी योग्यता को समझते हुए उन्हें पढ़ाई का महत्व समझाएं। उनके अंदर पढ़ाई की जिज्ञासा पैदा करें। बच्चों का पढ़ाई में मन लगे, इसके लिए आप कुछ इस तरह के उपाय अपनाएं, जैसे कि-
उत्साहपूर्ण शिक्षा: उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहित करने और उनकी रुचियों को समझने का मौका दें।उन्हे उनके हीसाब से, अच्छे वातावरण मे उसके अनुकूल शिक्षा देना महत्त्वपूर्ण है.
पढ़ाई की प्रोत्साहन : उनकी पढ़ाई और सीख में रुचि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, लेकिन दबाव नहीं डालें।नियमित पढ़ाई से बच्चों का पढ़ाई में मन लगेगा.बच्चे के लिए नियमित पढ़ाई के लिए एक योजना बनाए। पढ़ाई जब नियमित रहेगी तो बच्चों का पढ़ाई में मन भी ज्यादा लगेगा। उसके लिए टाइम टेबल चार्ट बनाए। टाइम टेबल में बीच-बीच में ब्रेक को भी महत्व दें ताकि पढ़ाई करना बच्चे को उबाऊ न लगे।
खेल और शारीरिक सक्रियता: उन्हें खेलने के लिए समय दें, क्योंकि यह उनके मानसिक विकास को बढ़ावा देता है।रोजाना सुबह 20 मिनट तक योगा करें और बच्चे को भी योग कराएं। इससे उनमें एकाग्रता बढ़ेगी और बच्चों का पढ़ाई में मन भी लगेगा। साथ ही बच्चा पूरे दिन ऊर्जावान रहेगा।
नींद और खेलना भी है जरूरी -बच्चों का पढ़ाई में मन लगने के साथ-साथ उनका खेलना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि खेलकूद से उन्हें नई ऊर्जा मिलती है इससे बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास तेज होता है। बच्चे के खेलने का भी समय निश्चित करें। इसके साथ ही बच्चे की नींद के समय भी सुनिश्चित करें। अच्छी नींद से हॉर्मोन सही तरीके से रेगुलेट होते हैं जिससे माइंड तेज होता है और शरीर को भी आराम मिलता है। जिससे पढ़ा हुआ याद रखने में मदद मिलती है।
बच्चे पर चिल्लाना पीटना नहीं है उपाय - बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने पर कुछ पेरेंट्स बच्चे को पीटना शुरू कर देते हैं जो कि गलत है। अगर बच्चे को पढ़ाई में कोई दिक्कत आ रही है या उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है तो उस पर चिल्लाए नहीं और न ही उसकी पिटाई करे। ऐसा करने से बच्चे के मन मे डर बैठ जाता है और वह पढ़ाई से जी चुराने लगता है। इसलिए उसे प्यार से समझाएं और अगर बच्चा पढ़ाई से ऊब गया हैं तो जबरदस्ती न करें। थोड़ी देर उसे उसकी पसंद का काम करने दें।
बच्चों में किताब पढ़ने की रुचि विकसित करें: ऐसा कहा जाता है कि किताबों से बेहतर साथी कोई नहीं होता, लेकिन आज मोबाइल और टेक्नोलॉजी के इस दौर ने बच्चों को किताबों से दूर कर दिया है। अपने बच्चे को फोन की लत से दूर रखने के लिए उन्हें किताबों के करीब ले जाएं। किताबें पढ़ने की आदत से न केवल बच्चों के व्यक्तित्व का विकास होता है बल्कि उनके सोचने के तरीकों में सकारात्मक बदलाव आते हैं। अधिक से अधिक किताबें पढ़ने से सोचने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। इतना ही नहीं इससे बच्चों की कम्नुनकेशन स्किल भी बेहतर होती है।
सुबह मे पढाई की आदत - वैसे तो हर समय में पढाई करने के फायदे है लेकिन सुबह की की गई पढाई हमारे अध्ययन स्तर को अधिक मजबूत बनाती है। इसलिए सुबह पढाई करके हमें कुछ विशेष प्रकार के लाभ प्राप्त होते है। जो की किसी अन्य समय में की गई पढाई से बहुत खास एवं अलग होते है। यदि हम बच्चो सुबह के समय में पढाई कराते है तो हम आपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते है।
सुबह के समय में पढाई करने से हमें निम्न लाभ प्राप्त होते है।
सुबह के समय में मन शांत रहता है
शरीर ऊर्जावान रहता है.
दिनचर्या सुधार सकते है.
सुबह वातावरण शांत रहता है.
सकारात्मक सोच एवं ऊर्जा का प्रवेश
नई चीज सीखें और सिखाएं ये 4 गुण आपके बच्चो मे होणेही चाहिए
बच्चों के रोल मॉडल बनने का यह बहुत ही अच्छा तरीका है। बच्चों को अपडेट रखने के लिए चीजों को खुद सीखें और फिर बच्चों को सीखाएं।
सहयोग Cooperation- बच्चो को सहयोग या सहकार का महत्त्व समझाना बहोत महत्त्वपूर्ण हैं. एक आदमी बिना सहयोग के नहीं रह सकता.
आदर Respect - दूसरों के साथ आदरभाव से पेश आने की शिक्षा आज के बच्चो देना जरुरी है, चाहे वो शिक्षक, पडोसी,हम उम्र,या किसी भी जाति, धर्म, के लोग हो. उसे हम आदर सिखायेंगे तो ये गुण उसे जिम्मेदार आदमी बनायेगा.ये उदाहरण आपके बच्चे को नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझाने में मदद कर सकते हैं।
समस्या का समाधान कैसे निकले सिखाये : उन्हें समस्याओं का समाधान ढूंढने और समाधान करने की क्षमता विकसित करने से हम बच्चो को All राउंडर बना सकते हैं.जैसे उन्हे हम दुकान से समान खरीद ने की छोटी जिम्मेदारी देकर उन्हे हिसाब कैसे करते है ये समझा सकते हैं.
गलतियों से सीखने की प्रक्रिया पर ध्यान: उन्हें गलतियों से सीखने की प्रोत्साहना दें और प्रोसेस-आधारित सोचने को प्रोत्साहित करें।
ध्यान दें कि हर बच्चे की आवश्यकताएँ और रुचियाँ अलग होती हैं, इसलिए उनके व्यक्तिगत विकास को समझने का प्रयास करें।