लेण्याद्री मंदिर lenyadri tempal ओर पर्यटन स्थल की जाणकारी

Vikas Jamdade
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लेण्याद्री मंदिर की जाणकारी

  • गिरिजात्मज मंदिर, अष्टविनायको में से एकमात्र ऐसा मंदिर है जो पर्वतो पर बना हुआ है, जो 30 गुफाओ में से सांतवी गुफा पर बना हुआ है। भगवान गणेश के आठो मंदिरों को लोग पवित्र मानकर पूजते है।
  • नमस्कार दोस्तों मे इस महिने लेण्याद्री पर्वत,शिवनेरी किल्ला, भीमाशंकर शिव मंदिर,बालाजी मंदिर पुणे, जोतिबा मंदिर इन धार्मिक स्थालो का पर्यटन किया हैं. इसकी जाणकारी आपको मेरे ब्लॉग मे समय समय पर देता हु .तो मित्रो कृपया इस लेख को शेअर करे ओर अपने धार्मिक स्थलो की महान विरासत को अपने प्रियजनो को. भेजे आपका कृपाभिलाशी.
  • मंदिर में स्थापित मूर्ति का मुख उत्तर की ओर है। उसकी सूँड़ बायीं ओर है और इसकी पूजा मंदिर के पिछले हिस्से से करते हैं, क्योंकि मंदिर का मुँह दक्षिण दिशा की ओर है। मंदिर की मूर्ति बाकी मूर्तियों के समान नक़्क़ाशीदार नहीं है, इसलिये कूच अलग दिखाई देती है। इस मूर्ति की पूजा कोई भी कर सकता है। मंदिर की बनावट कुछ ऐसी है कि वह पूरे दिन सूर्य के प्रकाश से प्रदीप्त रहता है। माना जाता है माता पार्वती ने गणेशजी को पाने के लिये यहाँ तपस्या की थी। ‘गिरीजा’ (पार्वती) का ‘आत्मज’ (पुत्र) गिरिजात्मज। यह मंदिर बौद्धिक गुफ़ाओं में से आठवीं गुफ़ा में स्थित है। इन गुफ़ाओं को ‘गणेश लेणी’ भी कहा जाता है। मंदिर एक ही चट्टान से बनाया गया है, जिसमें सीढ़ियों की संख्या 307 है। इस मंदिर में एक बड़ा कक्ष भी है, जो बिना किसी स्तंभ आधार के खड़ा हुआ है। यह कक्ष 53 फुट लम्बा और 51 फुट चौड़ा है। इसकी ऊँचाई 7 फुट है। गणपति शास्त्र के अनुसार गणेश मयूरेश्वर के रूप में अवतरित हुए थे, जिनकी छः बांहे और सफ़ेद रंग था। उनका वाहन मोर था। उनका जन्म शिव और पार्वती की संतान के रूप में त्रेतायुग में राक्षस सिंधु को मारने के उद्देश्य से हुआ।
  • एक बार मा.पार्वती ने ध्यान कर रहे अपने पति शिवजी से कुछ पूछा। लेकिन भगवान शिव ने कहा की वे “पुरे ब्रह्माण्ड के समर्थक – गणेश” का ध्यान लगा रहे है और इसके बाद पार्वती ने भी गणेश मंत्र का उच्चार कर ध्यान लगाने की शुरुवात की। एक पुत्र की इच्छा में पार्वती भी भगवान गणेश की तपस्या में लीन हो गयी।
  • लगभग 12 साल तक लेण्याद्री पर उन्होंने तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर गणेशजी खुश हुए और उन्होंने उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया।
  • कहा जाता है की हिन्दू माह भाद्रपद महिने की चौथी चन्द्र रात को पार्वती ने भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा की पूजा की थी और उसी में से भगवान गणेश प्रकट हुए थे।
  • इसीलिए कहा जाता है की देवी पार्वती ने लेण्याद्री पर भगवान गणेश को जन्म दिया। राक्षसी राजा सिंधु जो जानता था की उसकी मौत गणेश के हांथो होनी थी, वह बार-बार दुसरे राक्षस जैसे क्रूर, बालासुर, व्योमासुर, क्षेम्मा, कुशाल और इत्यादि राक्षसों को उन्होंने भगवान गणेश को मारने के लिए भेजा। लेकिन भगवान गणेश को पछाड़ने की बजाए भगवान गणेश ने खुद उनका विनाश कर दिया।
  • भगवान गणेश को मयूरेश्वर की उपाधि भी दी जाती है। बाद में मयूरेश्वर ने ही राक्षसी दैत्य सिंधु की हत्या की थी, इसीलिए इस मंदिर को भगवान गणेश के अष्टविनायको में सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना जाता है।

  • उत्सव:

  • माघ शुद्ध चतुर्थी – जनवरी और फरवरी
  • गणेश चतुर्थी और भाद्रपद शुद्ध चतुर्थी – अगस्त और सितम्बर
  • विजयादशमी – अक्टूबर

  1. विशेषता:

  • गिरिजात्मज मंदिर के मुख्य देवता भगवान गिरिजात्मज (गणेशजी) है, जिन्हें देवी गिरिजा का पुत्र भी कहा जाता है। गुफा में बने भगवान गणेश के इस मंदिर में हमें भगवान गणेश की मूर्ति को गुफा की काली दीवारों पर उकेरा गया है।
  • मंदिर तक पहुचने के लिए हमें 283 सीढियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमाए और साथ ही भगवान गणेश के बालपन, युद्ध और उनके विवाह के चित्र भी बने हुए है।
  • लेण्याद्री गणपति (Lenyadri Ganpati) महाराष्ट्र, भारत में स्थित है और एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है, जहां गणेश भगवान की पूजा की जाती है। यह स्थल जुन्नर जिले के आस-पास की पहाड़ियों पर स्थित है और पूरे स्थल का पौराणिक महत्व है।

लेण्याद्री मंदिर की यहां कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है:

  1. गणपति मंदिर: लेण्याद्री में एक प्राचीन गणपति मंदिर है, जो अपने आप में ही विशेष है। इस मंदिर को "गिरिजात्मज लेण्याद्री" के नाम से भी जाना जाता है।
  2. अद्वितीय स्थल: लेण्याद्री गणपति का मंदिर एक पहाड़ी की गुफा में स्थित है, जिसे आपको 283 आवाजाओं की सीढ़ियों से पहुँचना होता है।
  3. विशेष पूजा : मंदिर की पूजा गुफा के अंदर ही की जाती है, और इसके लिए दिन में कई बार विशिष्ट पूजा का आयोजन होता है।
  4. पौराणिक महत्व : लेण्याद्री मंदिर का पौराणिक महत्व है, क्योंकि यहां पर गणपति भगवान का जन्म माना जाता है।
  5. पूर्णिमा उत्सव : लेण्याद्री मंदिर में विशेष पूर्णिमा के अवसर पर बड़ा उत्सव मनाया जाता है, और लाखों भक्त यहां आकर पूजा दर्शन करते हैं।
  • लेण्याद्री गणपति मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल है, और यहां के वातावरण और प्राचीनता का आत्मा को बनाए रखने में मदद करते हैं.लेण्याद्री में 30 बुद्धिस्ट गुफाए बनी हुई है। 
  • लेण्याद्री गणपति मंदिर का पौराणिक महत्व बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस मंदिर में गणेश भगवान का जन्म माना जाता है। यहां के पौराणिक कथाओं और महत्वपूर्ण संगठन के बारे में विशेष रूप से जानकारी है:
  1. गणेश जन्म : लेण्याद्री मंदिर के पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश भगवान यहां पैदा हुए थे। वे देवी पार्वती के आदिशक्ति से बनाए गए थे और उनके जन्म के पश्चात् वे अपनी मां के आगे गुफा में छिप गए थे।
  2. आषाढ़ी शष्ठी : लेण्याद्री में आषाढ़ मास के छठे दिन, जिसे "आषाढ़ी शष्ठी" कहा जाता है, पूरे स्थल पर बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लाखों भक्त यहां आते हैं और गणपति भगवान की पूजा करते हैं।
  3. पौराणिक महत्त्व : इस स्थल के पौराणिक संगठन का नाम "गणपति यज्ञ" है, जो ब्राह्मणों द्वारा प्रमुखतः संचालित किया जाता है।
  4. गुफा का महत्व: मंदिर की पौराणिक गुफा में गणेश भगवान के जन्म का अद्वितीय और पौराणिक स्थल है।
  • लेण्याद्री मंदिर का पौराणिक महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यह गणेश भगवान के जन्म के स्थल के रूप में माना जाता है। यहां के परंपरागत आयोजन और पूजा में लाखों भक्त भाग लेते हैं और इसे एक पौराणिक और आध्यात्मिक तीर्थ स्थल के रूप में मानते हैं।

लेण्याद्री पर्वत मंदिर कैसे जाये.

  • मू पो - गोलेगाव, तालुका - जुन्नर, जिल्हा - पुणे राज्य - महाराष्ट्र.
  • आपण टूर्स ट्रॅव्हल एजन्सी आयोजित ट्रिपस के द्वारा या पुना से लेण्याद्री मंदिर जा सकते हैं .

लेण्याद्री मंदिर के नाजदिकी पर्यटन स्थळ

  1. शिवनेरी किल्ला-छत्रपती.शिवाजी राजे का जन्म १९ फ़रवरी १६३० को हुआ था और उनका बचपन भी यहीं बीता। इस गढ़ के भीतर माता शिवाई का एक मन्दिर था, जिनके नाम पर शिवाजी का नाम रखा गया। किले के मध्य में एक सरोवर स्थित है जिसे "बादामी तालाब" कहते हैं। इसी सरोवर के दक्षिण में माता जीजाबाई और बाल शिवाजी की मूर्तियां स्थित हैं। किले में मीठे पानी के दो स्रोत हैं जिन्हें गंगा-जमुना कहते हैं और इनसे वर्ष भर पानी की आपूर्ति चालू रहती है।किले से दो किलोमीटर की दूरी पर लेन्याद्री गुफाएं स्थित हैं जहां अष्टविनायक का मन्दिर बना है।
  2. किल्ले चावंड -चावंड गाव
  3. किल्ले जीवधन -घाटघर
  4. किल्ले नारायणगड -नारायणगाव, खोडद
  5. किल्ले निमगिरीव हनुमंतगड -निमगिरी गाव
  6. किल्ले शिवनेरी -जुन्नर
  7. किल्ले सिंदोळा -मढ, पारगाव
  8. किल्ले हडसर -हडसर गाव
  9. किल्ले ढाकोबा -आंबोली/ ढाकोबा
  10. किल्ले हरिचंद्रगड -खिरेश्वर
  11. नाणेघाट जुन्नर
  12. माळशेज घाट जुन्नर

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