चमकते जूते और एकता की कहानी: सज्जन समूह का उदाहरण

Vikas Jamdade
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जूते पॉलिशवाले की अनूठी कहानी: एक सत्संगी सामूहिकता की उदाहरण
एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर जूते पॉलिशवाले की एक अनूठी कहानी थी, जो हमें अपने मानवता भाव से जुड़ाव समझाती है। इस कहानी में हम देखेंगे कि कैसे व्यक्तित्व, नम्रता, और सामूहिकता की शक्ति से एक छोटे से समूह में परिवर्तन का संभव होना व्यक्त होता है।
एक दिन, एक रेलवे स्टेशन पर कुछ लोग जूते पॉलिश करवा रहे थे। उनमें से एक लड़का दिखाई देता था जो विशेष रूप से विकलांग था। उसकी आंखों में एक दिव्य चमक थी, जिसने लोगों के दिलों को छू लिया। जब उसने जूते की पॉलिश शुरू की, तो उसके हाथों की चमक ने दिखाई देने वाले सभी लोगों की निगाहें खींची। वह बड़ी नम्रता और मेहनत से अपना काम कर रहा था।
परंतु, दूसरे जूते पॉलिशवालों को उस लड़के के तरीके में कुछ गड़बड़ नजर आने लगी। वे चाहते थे कि वह लड़का जल्दी से काम करें, ताकि उन्हें अधिक ग्राहक मिले और ज्यादा पैसे कमाएं। वे उस लड़के को बोले, "कैसे ढीले-ढीले काम करते हो? जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ!"
लड़का मौन रहा। उसे ना सिर्फ बोलने की समझ थी और न ही बहुत समझ ने की जरूरत थी। उसे बस खुद का काम करने में खुशी मिल रही थी, क्योंकि उसकी मेहनत उसे गर्व महसूस कराती थी।
तभी एक दूसरा जूते पॉलिशवाला आया। वह उस दिन के सभी लोगों को अलग कर दिया और स्वयं उस लड़के के पास आया। उसने जूते को चमकाने के लिए एक प्यार भरे नजर से देखा और खुशी से उसके हाथों से जूते को चमका दिया। जूते की पॉलिश के बाद, वह लड़का धीरे-धीरे मुस्कराने लगा। उसके आंसू खुशियों के आंसू थे।                 👉ब्रेक अप स्टोरी
जूते पॉलिशवाला उसे पैसे देने के लिए जेब में हाथ डाला, परंतु लड़का उसे देने से इनकार कर दिया। उसने उसे धीरे से जेब से बाहर निकाल दिया और उसकी पीठ पर प्रेम से हाथ फेर दिया।👉💔Love story
तब जूते पॉलिशवाला अचानक बातचीत करने के लिए लड़के को अलग कर लिया और पूछा, "यह क्या चक्कर है? तुम्हारे दोस्तों ने तो तुम्हें पैसे देने को तैयार होकर दिखाया, तो तुम क्यों नहीं ले रहे हो?"
लड़का बेहोशी से बचते हुए बोला, "साहब! यह तीन महीने पहले चलती ट्रेन से गिर गया था। हाथ-पैर में बहुत चोटें आई थीं। ईश्वर की कृपा से बेचारा बच गया, नहीं तो इसकी वृद्धा माँ और बहनों का क्या होता। बेहद स्वाभिमानी हैं, वे भीख नहीं मांग सकते। वे सबके साथ भाईचारे और प्रेम का संबंध बनाने के लिए सत्संग जाते हैं, और हमें भी वहां से सीख मिलती है।"
वह लड़का आगे कहता है, "साथियो! यहाँ जूते पॉलिश करनेवालों का हमारा समूह है, और उसमें एक देवता जैसे हम सभी के प्यारे चाचाजी हैं, जिन्हें सब 'सत्संगी चाचाजी' कहकर पुकारते हैं। वे सत्संग में जाते हैं और हमें भी सत्संग की बातें बताते रहते हैं। उन्होंने ही यह सुझाव रखा है कि 'साथियो! अब यह पहले की तरह स्फूर्ति से काम नहीं कर सकता तो क्या हुआ? ईश्वर ने हम सभी को अपने साथी के प्रति सक्रिय हित, त्याग-भावना, स्नेह, सहानुभूति और एकत्व का भाव प्रकट करने का एक अवसर दिया है। जैसे पीठ, पेट, चेहरा, हाथ, पैर भिन्न-भिन्न दिखते हुए भी हैं एक ही शरीर के अंग, ऐसे ही हम सभी शरीर से भिन्न-भिन्न दिखाई देते हुए भी हैं एक ही आत्मा! हम सभी एक हैं। स्टेशन पर रहने वाले हम सभी साथियों ने मिलकर तय किया कि हम अपनी एक जोड़ी जूते पॉलिश करने की आय प्रतिदिन इसे दिया करेंगे और जरूरत पड़ने पर इसके काम में सहायता भी करेंगे।'
जूते पॉलिशवालों के समूह में सज्जनता, प्रेम, सहयोग और एकता की ऐसी ऊंचाई देखकर उस सज्जन व्यक्ति ने चकित रह गया। उसने खुद को सोचने पर मजबूर किया कि शायद इंसानियत अभी तक जिंदा है। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि एक समूह के सदस्य के रूप में हमें अपने साथियों के प्रति समर्पण और सहायता करने का महत्व समझाना चाहिए। हमारे कर्म और भावों से हम दूसरों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और समूह में एक सज्जन और समर्थ साथी के रूप में अपनी जगह बना सकते हैं।
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हमें सभी व्यक्तियों की आवश्यकताओं का सम्मान करना चाहिए और हमें एक-दूसरे के साथ समर्थन और सहायता करने का प्रयास करना चाहिए। हम सभी को एक ही मानवता के सदस्य और एक परिवार का हिस्सा मानना चाहिए, ताकि हम सब मिलकर एक समृद्ध और समरस्थ समाज का निर्माण कर सकें।

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