Hindi love story-कब के बिछडे

Vikas Jamdade
0

नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप हमेशा की तरह मे आपके अपने ब्लॉग मे आपकी पसंद की लव्ह स्टोरी लेकर आया हु.जो आप हर बार की तरह पसंद जरूर करेंगे.ये कहानी हमारे काल्पनिक किरदार मंगला ओर विजय की कहाणी पर आधारित हैं.

मंगला वहां से जाने लगी, उसने विजय को बोला कि मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी तुम चले जाओ।

विजय उसके पीछे पीछे जाने लगा, उसने कहा मेरी बात तो सुन लो एक बार, फिर भी मंगल नहीं रुकी।

फिर विजय ने कहा तुम्हें मेरी कसम है बस एक बार रुक के मेरी बात सुन लो, फिर मंगल क्या करती, आखिर उसके दिल में अभी भी विजय के लिए प्यार था, तो वो रुक गई फिर विजय ने कहा कि कहीं बैठ कर बात करते है फिर वो दोनों मॉल के एक रेस्टोरेंट में गए।

विजय ने उस से पूछा कैसी हो?, वो बोली ठीक हूं, विजय ने उसके पति के बारे में पूछा कि वो कैसा है तुम्हारा ध्यान रखता है ना।

मंगल चुप थी, विजय ने बोला क्या हुआ तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो, तुम्हे कोई परेशानी तो नहीं है ना।

मंगल बोली मेरा तलाक हो गया है।

विजय को ये सुनते ही एक उम्मीद की किरण दिखने लगी, उसने पूछा कब और क्यों, मंगल ने उसे सब बताया। विजय ने बोला फिर अब तुम अकेले क्यों रहती हो, तुम अपने मम्मी पापा के पास क्यों नहीं गई या मुझे क्यों संपर्क करने की कोशिश क्यों नहीं की।

मंगल बोली "तुम अगर मुझसे प्यार ही करते थे तो जब मेरी शादी हुई तब क्यों नहीं आए मुझे लेने, कहा थे तुम? उस वक़्त मै बिल्कुल अकेली हो गई थी और मजबूरी में शादी हो गई मेरी।" विजय ने पूछा क्या तुम्हारे पापा ने नहीं बताया कि उन्होंने मुझपे पुलिस केस कर दिया था, मै जेल में था कुछ महीने। ये सुनते ही मंगल चौक गई, उसने कहा कि मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता, विजय ने उसे पूरी बात बताई।

मंगल बोली मै माफी मांगती हूं तुमसे अपने पापा के तरफ से।

विजय ने कहा अब वो बात को जानेदो मै भूल चुका हूं वो सब, अभी की बात करो विजय ने बिना देर किए उसने पूछ लिया "क्या अब तुम मुझसे शादी करोगी।" मंगल बोली "क्या तुमने अभी तक शादी नहीं की।" विजय ने कहा नहीं, मै अभी अपने कैरियर पे ध्यान दे रहा हूं, और यह कुछ काम से ही आया था, अब बोलो शादी करोगी मुझसे।

मंगल बोली अभी 2 दिन में मै अपने कंपनी के तरफ से बाहर जा रही हूं एक मीटिंग के लिए। उधर से लौट कर इसके बारे में बात करते है। विजय ने कहा पहले ही बहुत इंतजार किया है अब और इंतजार नहीं होता है लेकिन फिर भी जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा। दोनों ने अपना फोन नंबर दिया एक दूसरे को और घर गए। विजय उसे रोज फोन कर के उसका हाल चाल पूछता रहता था।

एक सप्ताह बाद मंगल अपनी मीटिंग ख़तम कर के लौट आई थी।

विजय उसे मिलने के लिए बोल रहा था लेकिन मंगल अपने ऑफिस में बहुत व्यस्त रहती थी, उसने कहा कि हम रविवार को मिलेंगे। फिर वो दोनो रविवार को उसी मॉल में मिले। विजय ने पहले उसके मीटिंग और काम के बारे में पूछा कि सब ठीक चल रहा है ना।  था, अब बोलो शादी करोगी मुझसे।

मंगल बोली हां, बिल्कुल, मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं।

दोनों बहुत खुश थे। मंगल ने अपने परिवार को विजय के बारे में बता दिया और इस बार उसके घर वाले उसके इस फैसले से मान गए क्योंकि पहले उनसे एक गलती हो चुकी थी अब वो फिर से अपनी बेटी को तकलीफ में नहीं देखना चाहते थे।

एक महीने बाद उनकी शादी करवा दी।

विजय ने अपना खुद का एक बिजनेस स्टार्ट किया था, तो अब मंगल उसके साथ उसके बिजनेस में हाथ बटाती थी, और वो दोनों खुशी खुशी हमेशा के लिए एक साथ हो गए।

दोस्तों इस कहानी में प्यार और समझदारी की मिसाल देखणे को मिलती है। विपरीत स्थिति के बावजूद, मंगल और विजय ने एक-दूसरे के साथ खुशियों का सफर तय किया। ये कहाणी कठीण परिस्थितियों के बावजूद आप अपने प्यार को जी सकते हैं, समस्याओं का समाधान ढूँढ सकते हैं, और एक साथ सफलता पाने में कामयाब हो सकते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब दो लोग एक दूसरे के साथ होते हैं, तो वे सभी मुश्किलों को पार कर सकते हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।तो कृपया मेरी कोशिश को शेअर ओर एक लाईक देके प्रोसांहित करे धन्यवाद.

ओर नई कहानिया पढने के लिये स्टोरी क्लिक करे -

1.ब्रेक अप लव स्टोरी

2.अनोखी love story


Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*