अपनी असीम खूबसूरती से घिरे हुए हैं भारत के ये 7 अजूबे

Vikas Jamdade
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अपनी असीम खूबसूरती से घिरे हुए हैं भारत के ये 7 अजूबे, आप इनमें से कितनी जगहों को जाणते हैं ?

  • 7 Wonders of India – दोस्तों दुनिया में ऐसी कई जगह और चीज़े है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. इतिहास में भी मनुष्यों के द्वारा बनाये गए भिन्न भिन्न प्रकार की संरचनाएं यह सोचने पर मजबूर कर देती है की आखिर इनको बनाया कैसे गया होगा, क्योंकि प्राचीन काल की तकनीक आज के मुकबले इतनी उन्नत नहीं थी लेकिन फिर भी प्राचीन काल में मनुष्यो द्वारा बनायीं गयी संरचनाये वर्तमान समयकाल से भी कई सौ साल आगे को दिखता है यानी की हमारे इतिहासकार हमसे भी कही एडवांस थे. आप खुद ही देख लीजिए भारत के ताजमहल, द पिरामिड ऑफ़ ग़िज़ा, ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना, नालंदा विश्वविद्यालय, खुजराहो मध्यप्रदेश, आदि. दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको 7 wonders of india बारे में बताएंगे.हमारे ब्लॉग मे.👉 भारत के कुछ अनुसुलजे रहस्य
  1. हम्पी कर्नाटक - हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी. तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी के नाम से जाना जाता है. इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहां पर एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी. भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया गया है. यहां हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं. हम्पी में विशाला मंदिर परिसर नि:संदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है. इसके मुख्य हॉल में लगे 56 स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत की लहरियां निकलती हैं. इनमें पिछली सदियों में विकसित होने वाले चालुक्य, हुई स्लाव, पांड्य चोल शैलियों के जीवंत संयोजन को देखा जा सकता है.
  2. स्वर्ण मंदिर अमृतसर पंजाब - हरमंदिर साहिब या दरबार साहिबान जिसको स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है. सांस्कृतिक रूप से सिखों के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल होने के साथ साथ सबसे पुराने गुरूद्वारे में से एक थे. यह सिखों के चौथे गुरु गुरु रामदास द्वारा स्थापित अमृतसर शहर में स्थित है. इस शहर को इस पवित्र तीर्थ स्थान के कारण ही अपनी पहचान मिली है. अमृतसर का यह गुरुद्वारा अपनी अनूठी कारीगरी और बनावट के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. स्वतंत्रता और आध्यात्मिक आजादी के प्रतिक इस मंदिर में पूरी दुनिया से श्रद्धालु आते हैं और इस स्थान का आनंद लेने के साथ साथ प्रार्थना भी करते हैं. स्वर्ण मंदिर एक आयातकार मंच पर बना हुआ है और चारों तरफ से अमृत सरोवर से घिरा हुआ है. एक प्रवेश द्वार की बजाय इस मंदिर में चार प्रवेश द्वार है जो सिख धर्म के खुलेपन का प्रतीक प्रतीत करता है और इंगित करता है कि सभी धर्मो की अनुयायियों को प्रवेश की अनुमति है. भीतर की दीवारों को नक्काशीदार लकड़ी के पट्टों और चांदी तथा सोने की जड़ित काम से सजाया गया है. यह स्वर्ण मंदिर देखने में किसी अजूबे से कम नहीं लगता है.
  3. ताजमहल आग्रा - दोस्तो ताजमहल जिसे केवल ताज के नाम से भी जाना जाता है को मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी रानी मुमताज महल की याद में बनवाया गया था. इसे मुगल वास्तु कला का सबसे बेहतरीन उदाहरण माना जाता है. ऐसी शैली जिसमें फारसी, तुर्की, भारतीय और इस्लामी शैलियों का सुंदर मिश्रण है. 1983 में ताजमहल एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल बन गया. सफेद संगमरमर से निर्मित कब्र ताजमहल का मुख्य आकर्षण है. इस स्मारक के निर्माण के लिए पुरी साम्राज्य और मध्य एशिया तथा इरान तक से विभिन्न प्रकार के भवन निर्माण कारीगरों तथा विशेषज्ञों को बुलवाया गया था, जबकि आंतरिक निर्माण के लिए ईंटों को स्थानीय स्तर पर तैयार किया गया था. बाहरी सजावट के लिए सफेद संगमरमर को राजस्थान के मकराना से मंगवाया गया था. अलंकरण के लिए कम कीमती पत्थरों को भरत, शिलोन और अफगानिस्तान के सुदूर क्षेत्रों से लाया गया था.
  4. गोमतेश्वर या श्रवणबेलगोला - दोस्तो श्रवणबेलगोला प्राचीन तीर्थ स्थल कर्नाटक राज्य की हासन जिले में स्थित है. यह बेंगलूर शहर से लगभग 150 और मैसूर शहर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर भगवान बाहुबली की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है, जो पूर्णतः एक ही पत्थर से निर्मित है. इस मूर्ति को बनाने भी मूर्तिकार को लगभग 12 वर्ष लगे थे. बाहुबली को गोमतेश्वर भी कहा जाता है. दोस्तो बिना किसी उन्नत तकनीक के इतनी बड़ी और विशालकाय मूर्ति को अच्छे से बनाना कोई आम बात नहीं है. यह मूर्ति एक कमल पर खड़ी हुई है. दोस्तो एक बात और यह मूर्ति इतनी ऊँचाई पर कैसी रखी गई यह भी एक रहस्य है. आखिर हमारे पूर्वजों ने इस मूर्ति को इतने ऊपर कैसे लाया यह किसी अजूबे से कम नहीं है.
  5. कोणार्क सूर्य मंदिर - कोणार्क के सूर्य मंदिर जिसे ब्लैक पैगोडा के नाम से भी जाना जाता है, का निर्माण पूर्वी गंगा वंश के राजा नरसिंह देव के द्वारा काले ग्रेनाइट से करवाया गया था. यह मंदिर यूनेस्को का एक विश्व विरासत स्थल है. 13वीं शती में निर्मित इस मंदिर को एक विशालकाय रथ के आकार में बनाया गया है जिसमें 24 पहिये लगे हुए हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रतीक का व्यास 3.3 मीटर है और इसके साथ घोड़ों द्वारा सूर्य देवता को आकाश मार्ग से ले जाते दिखाया गया है. यह धार्मिक वास्तु कला का एक आश्चर्यजनक स्मारक है. सूर्य मंदिर भारतीय मंदिरों की कलिंग शैली में निर्मित है. यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित होने के कारण पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर सीधा बना हुआ है.
  6. नालंदा विश्वविद्यालय बिहार - दोस्तो भारत के बिहार राज्य में स्थिति नालंदा विश्वविद्यालय 427 इसवी से 1197 इसवी के बीच एक समृद्ध बौध शिक्षा केन्द्र था और आंशिक रूप से पाल साम्राज्य के अधीन था. इसे लिखित इतिहास के प्रथम महान विश्वविद्यालयों में से एक कहा जाता है. इतिहासिक अध्ययनों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय को गुप्त वंश के सम्राटों द्वारा पाँचवी शताब्दी में स्थापित किया गया था. इसमें सबसे उल्लेखनीय नाम कुमारगुप्त का आता है. यह विश्वविद्यालय एतिहासिक कला का एक अनूठा नमूना है. अपनी समय काल में यह विश्वविद्यालय सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक था. उस समय काल में इसका पुस्तकालय दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय था. नालंदा में विद्यार्थियों और आचार्यों के अध्ययन के लिए नौ तल यानि की नौ मंजिला एक विराट पुस्तकालय था, जिसमें तीन लाख से भी अधिक पुस्तकों का अनुपम संग्रह था.
  7. खजुराहो M.P - दोस्तों खजुराहो के बारे में तो सभी जानते होंगे. खजुराहो में हिन्दू और जैन धर्म के मध्ययुगीन मंदिरों का सबसे बड़ा समूह है. कलाकृतियों के प्रसिद्ध इस मंदिर परिसर में वास्तु कला और मूर्ति कला का आदर्श मिश्रण दिखाई देता है. यह मंदिर परिसर यूनेस्को का एक विश्व विरासत स्थल है. खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है, जो अपनी प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है. यह मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है. मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से भी जाना जाता है, जो कि देश के सर्वोत्कृष्ट मध्यकालीन स्मारक है.
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