खजुराहो मंदिर: अनसुनी जानकारी और रहस्यमयी कहानियाँ

Vikas Jamdade
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खजुराहो मंदिर, यूनेस्को, चंदेल वंश, नागर शैली, कामुक मूर्तियाँ, मध्य प्रदेश

खजुराहो मंदिर: अनसुनी जानकारी और रहस्यमयी कहानियाँ

खजुराहो, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा, जो अपनी अद्भुत मंदिर वास्तुकला और शिल्पकला के लिए विश्वविख्यात है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध खजुराहो के मंदिर न केवल भारतीय संस्कृति और कला के प्रतीक हैं, बल्कि इनके पीछे छिपी अनसुनी कहानियाँ और रहस्य भी उतने ही रोचक हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम खजुराहो मंदिरों के कुछ अनछुए पहलुओं, उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता, और उनसे जुड़े रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे।

खजुराहो मंदिरों का संक्षिप्त परिचय

खजुराहो मंदिर समूह, जिसका निर्माण चंदेल वंश के शासकों ने 950 से 1050 ईस्वी के बीच करवाया, हिंदू और जैन धर्म के मंदिरों का एक अनूठा संगम है। मूल रूप से 85 मंदिरों का यह समूह 20 वर्ग किलोमीटर में फैला था, लेकिन आज केवल 25 मंदिर ही बचे हैं, जो 6 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं। ये मंदिर नागर शैली की वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें जटिल नक्काशी, कामुक मूर्तियाँ, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती मूर्तिकला शामिल है।
अनसुनी जानकारी और रोचक तथ्य
1. नाम का रहस्य: खजुराहो क्यों?
खजुराहो का नाम संस्कृत शब्द "खर्जूर" (खजूर) से लिया गया है, जिसका अर्थ है खजूर का पेड़। प्राचीन काल में यह क्षेत्र खजूर के पेड़ों से घिरा हुआ था। कुछ विद्वानों का मानना है कि मंदिरों के प्रवेश द्वार पर दो खजूर के पेड़ होने के कारण इसे "खजूरवाहक" कहा जाता था, जो बाद में खजुराहो बन गया। इसके अलावा, कुछ लोग इसे भगवान शिव के प्रतीकात्मक नाम "खजुरा-वाहक" (बिच्छू वाहक) से भी जोड़ते हैं।
2. कामुक मूर्तियों का दार्शनिक महत्व
खजुराहो मंदिरों की दीवारों पर बनी कामुक मूर्तियाँ विश्वभर में चर्चा का विषय रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये मूर्तियाँ केवल 10% नक्काशी का हिस्सा हैं? बाकी 90% नक्काशी उस समय के सामाजिक जीवन, संगीतकारों, किसानों, नृत्य मुद्राओं, और धार्मिक दृश्यों को दर्शाती हैं।
इन मूर्तियों का निर्माण तांत्रिक दर्शन और हिंदू धर्म के चार पुरुषार्थों—धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष—को दर्शाने के लिए किया गया था। विद्वानों का मानना है कि ये मूर्तियाँ सांसारिक इच्छाओं को मंदिर के बाहर छोड़कर आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का प्रतीक हैं। खास बात यह है कि इन मूर्तियों में अश्लीलता का कोई भाव नहीं है; बल्कि, इनमें दैवीय आनंद और सौंदर्य की झलक मिलती है।
3. चंद्रवर्मन और हेमवती की कथा
खजुराहो के मंदिरों के निर्माण के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि चंदेल वंश के संस्थापक चंद्रवर्मन की माँ हेमवती, जो काशी के राजपंडित की पुत्री थीं, एक अपूर्व सुंदरी थीं। एक रात तालाब में स्नान करते समय भगवान चंद्र उनकी सुंदरता पर मोहित हो गए और मानव रूप में हेमवती के पास आए। इस मिलन से चंद्रवर्मन का जन्म हुआ। हेमवती ने अपने पुत्र से कहा कि वह अपने पाप को धोने के लिए मंदिरों का निर्माण करवाए। चंद्रवर्मन ने माँ की इच्छा पूरी करने के लिए खजुराहो में 85 मंदिरों का निर्माण करवाया और एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया।
4. कामसूत्र से संबंध
खजुराहो के मंदिरों को अक्सर कामसूत्र से जोड़ा जाता है। कामसूत्र में वर्णित अष्ट मैथुन (आठ प्रकार की मैथुन क्रियाएँ) की जीवंत नक्काशी मंदिरों की दीवारों पर देखी जा सकती हैं। कंदारिया महादेव मंदिर, जो खजुराहो का सबसे बड़ा और भव्य मंदिर है, विशेष रूप से काम शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर 646 मूर्तियाँ और आंतरिक भाग में 226 मूर्तियाँ हैं, जो भारतीय कला की समृद्धि को दर्शाती हैं।
5. जैन मंदिरों की उपस्थिति
हालांकि खजुराहो मुख्य रूप से हिंदू मंदिरों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहाँ जैन मंदिर भी हैं, जो चंदेल शासकों के धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाते हैं। पूर्वी समूह के मंदिरों में पार्श्वनाथ, आदिनाथ, और शांतिनाथ जैसे जैन तीर्थंकरों को समर्पित मंदिर शामिल हैं। ये मंदिर अपनी सूक्ष्म नक्काशी और जैन दर्शन को दर्शाने वाली मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
6. मंदिरों का पुनर्जनन और विश्व धरोहर
13वीं से 18वीं शताब्दी तक मुस्लिम शासकों के आक्रमणों, विशेष रूप से सिकंदर लोदी के 1495 ईस्वी के अभियान, ने कई मंदिरों को नष्ट कर दिया। घने जंगलों में छिपे होने के कारण कुछ मंदिर सुरक्षित रहे। 1838 में ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन टी.एस. बर्ट ने इन मंदिरों को "पुनः खोजा" और विश्व के सामने लाया। 1986 में यूनेस्को ने खजुराहो मंदिर समूह को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, जिसके बाद इनकी संरक्षा और मरम्मत के लिए वैश्विक प्रयास शुरू हुए।
7. वास्तुकला की अनूठी विशेषताएँ
खजुराहो के मंदिर नागर शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इनमें गर्भगृह, शिखर, मंडप, और प्रदक्षिणा पथ जैसे तत्व शामिल हैं। मंदिर ऊँचे चबूतरे पर बने हैं और बिना परकोटे के हैं, जो मध्य भारतीय वास्तुकला की विशेषता है। कंदारिया महादेव मंदिर की 117 फुट ऊँची संरचना और इसकी सप्तरथ शैली इसे सबसे विशाल और जटिल बनाती है।
8. प्रकाश और ध्वनि शो
खजुराहो में हर शाम आयोजित होने वाला प्रकाश और ध्वनि शो (Light and Sound Show) मंदिरों के इतिहास और चंदेल वंश की कहानियों को जीवंत करता है। यह शो पर्यटकों को मंदिरों की कहानी को और करीब से समझने का अवसर देता है।
खजुराहो क्यों है खास?
खजुराहो मंदिर केवल पत्थरों की नक्काशी या धार्मिक स्थल नहीं हैं; ये भारतीय दर्शन, कला, और संस्कृति का जीवंत दस्तावेज हैं। यहाँ की मूर्तियों में गति और भावनाएँ इतनी जीवंत हैं कि लगता है जैसे वे बोलने वाली हों। चाहे वह लक्ष्मण मंदिर में विष्णु की प्रतिमाएँ हों, कंदारिया महादेव में शिव की भव्यता हो, या पार्श्वनाथ मंदिर में जैन तीर्थंकरों की शांति, हर मंदिर एक कहानी कहता है।
निष्कर्ष
खजुराहो मंदिर भारतीय स्थापत्य और शिल्पकला का एक अनमोल खजाना हैं, जो न केवल अपनी सुंदरता के लिए बल्कि अपने दार्शनिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों की अनसुनी कहानियाँ, जैसे चंद्रवर्मन और हेमवती की कथा, कामसूत्र से संबंध, और जैन-हिंदू सहिष्णुता, इन्हें और भी खास बनाती हैं। यदि आप इतिहास, कला, या संस्कृति के प्रेमी हैं, तो खजुराहो की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।
क्या आप खजुराहो की यात्रा करना चाहेंगे? या इन मंदिरों के बारे में कोई और रोचक जानकारी जानते हैं? नीचे कमेंट में साझा करें!


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